हताश दर्द में डूबी और अकेली जिंदगियों को ये भौतिकता वादी पूँजी वादी निर्मम निष्ठुर बाज़ार कैसे भुनाता है ये कहानी इसी और इंगित करती है | कहानी कर को बधाई | ममताजी ने कहानी की आत्मा को अपने स्वर से एकाकार कर अद्भुत जुगल बंदी प्रस्तुत कर दी है | बधाई >
हताश दर्द में डूबी और अकेली जिंदगियों को ये भौतिकता वादी पूँजी वादी निर्मम निष्ठुर बाज़ार कैसे भुनाता है ये कहानी इसी और इंगित करती है | कहानी कर को बधाई | ममताजी ने कहानी की आत्मा को अपने स्वर से एकाकार कर अद्भुत जुगल बंदी प्रस्तुत कर दी है | बधाई >
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